इस शीर्षक को रखने का अभिप्राय सिर्फ इतना है कि आतंकवाद से पीडित देश एक परमाणुविक क्षमता वाले देश बार्डर के अन्दर घुसकर कार्यवाही करने वाला अमेरिका के बाद दूसरा देश भारत बन गया है। इस कार्यवाही को ऐतिहासिक कदम माना जायेगा। राजनीति से उठकर टिप्पणी करना चाहता हूं कि ये सब लोकतांत्रिक देश में तभी सम्भव होता है जब एक मजबूत सरकार हो साथ उसका मुखिया भी मजबूत इरादे वाला होगा। कहना अतिश्योक्ति नही होगा कि प्रधानमंत्री मोदी व उनकी सरकार इससे कहीं परे हो। जिसने रात रात भर जगकर देश के लिए रणनीति बनाता रहा । हम सो रहे थे तो वो सर्जिकल स्ट्राइक से अपने जवानों की वापसी का राह देख रहा था। उसी की सोच हिस्स है कि सेना के जवानों की शहादत को पखवारे भर के अन्दर जाया नही गया। सर्जिकल स्ट्राइक के जरिये पीओके में तीन किमी0 के अंदर घुसकर सात कैंपों को नेस्तनाबूद कर दर्जनों आतंकियों का सफाया करना सेना के मनोबल को सातवें आसमान पर बिठाने का कार्य देश की सरकार ने किया है। देश उडी आतंकी हमले से खौल रहा था, इन परिस्थितियों सरकार ने जो समझदारी के साथ निर्णय लिया है उससे पाकिस्तान का हाल बेहाल हो गया है। उडी कैंप पर आतंकी हमले के बाद से भारत सरकार ने पाकिस्तान को विश्व मंच से अलग थलग करने में काफी हद तक कामयाब रहा यहां तक कि पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन में भारत सहित अफगानिस्तान,भूटान,बांग्लादेश ने भी हिस्सा लेने से मना कर दिया। जिससे पूरे विश्व में पाकिस्तान की खूब किरकिरी हुई। आर्थिक समझौते व जल सिंधु समझौता तोडने के विचार से पाकिस्तान की हालत पतली हो चली थी कि सर्जिकल स्ट्राइक ने उसकी बौखलाहट में भारी इजाफा कर दिया है। आजादी से अब तक इस तरह पाकिस्तान की हालत कभी नहीं हुई थी। अब उसके समझ में ये नही आ रहा है कि वह भारत के सामने घुटने टेक बातचीत शुरू करेे या विश्व मंच पर गुहार लगाये या फिर युद्ध का रास्ता अपनाये, आगे कुंआ पीछे खाईं वाली हालत बन चुकी है। भारत भी आर पार के मूड में दिख रहा है रोज रोज की आतंकी घटनाओं से आजिज आ चुका है। देश के सारे दल भी सरकार का साथ दे रहे हैं।और पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात पर पूरी तरह एकमत है। हमे अपने देश की सरकार व सेना के जवानों पर गर्व है कि एक बार फिर देश के दुश्मनों को उनकी औकात बताने का काम किया है।
हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर आमजन कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह
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