देशभक्ति पर भारी होगा धनबल या फिर !
नीरज सिंह 2017-06-02
आजकल देश भर में एक सवाल सोशल मीडिया से लेकर आम जनता में उछल कर आ रहा है कि चैम्पियन ट्रॉफी में भारत की क्रिकेट टीम पाकिस्तान के साथ मैच खेले या फिर न खेले, इसे लेकर संशय की स्थित बानी हुई है ! वहीं इसे लेकर भारत सरकार की भी नीति नही स्पष्ट हो रही है। कोई बी सी सी आई को जिम्मेदार बता रहा है तो कोई भारत की नीति को जिम्मेदार ठहरा रहा है। भारत के खेल मंत्री विजय गोयल का कहना है कि मैच नही होना चाहिए क्योंकि इस समय दोनों देश के बीच में तनाव की स्थित बानी हुई है। बयानबाजी खूब हो रही है , लेकिन कोई सकारात्मक कदम भारत सरकार की ओर से उठता नही दिख रहा है। वहीं देश में फौजियों की शहादत को लेकर वैसे ही आक्रोश भरा हुआ है, इसी बीच इस होने वाले मैच को लेकर जले पर नमक छिड़कने जैसी स्थिति पैदा हो गई है। शहीदों के परिवारों से लेकर एक बड़े वर्ग में काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है। इस प्रकरण में एक बात अवश्य उभर कर सामने आई है कि धन बल के सामने सरकार भी झुकने में देर नही लगाती। विश्व सबसे धनवान भारतीय क्रिकेट बोर्ड जिसके पैसों से आईसीसी भी निर्भर है ,वह बोर्ड आज धन कमाने के चक्कर में फौजियों का सर काटने वालों के साथ हाथ मिलाने को तैयार है। उसे इन शहीदों से कोई मतलब नही है। भारत सरकार भी दोहरा चरित्र अपना रहा है ,एक तरफ उसके खेल मंत्री मैच को लेकर कह रहे हैं कि आतंकवाद व मैच एक साथ हो नही सकता है। वहीं दूसरी ओर बी सी सी आई को स्वायत्तशासी संस्था बता कर दुहाई दी जा रही है। अब सवाल उठता है कि क्या भारत सरकार से भी ऊपर से भारतीय क्रिकेट बोर्ड! इसके समर्थकों का कहना है कि जब इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का कार्य पाकिस्तान से हो रहा है तो क्रिकेट क्यों नही हो सकता है। एक बात साफ है कि जो भी सरकारें रही हैं आज की या पहले की दोहरा रवैया अपनाने से इस समस्या हल नही पा रहा है। मजे की बात है कि 25 हजार पाने वाला हमारी सेना का जवान बार्डर पर गोली खाये और मैच खेल कर 25 करोड़ कमाने वाले पर देश भक्त का चोला पहनने की जरूरत नही है।और जवान से बड़ी अपेक्षा होती है। बार्डर पर शहीद होने पर घड़ियाली आंसू बहाने वाले भारत के बड़े चैनल 04 जून को होने वाले मैच का कवरेज के लिए लाखों के सेट तैयार कर रहे हैं अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए , अब देश के जवानों की शहादत व उनके परिवार के दर्द भूलकर पैसा कमाने जुट गए हैं। खिलाड़ी तो उनका कहना ही क्या उनकी भी जुबान तालू से चिपक गई है। अरे भाइयों जरा सोचो कुछ घंटे के मनोरंजन के लिए क्या हम शहीदों की शहादत का अपमान करें, उनके परिजनों के जीवन भर के लिए दर्द को भूल जाएं क्या यही अपनी संस्कृति व मानवता कहती है ।एक मैच न खेल कर 2 पॉइंट ही तो खो रहे हैं। क्रिकेट से अलविदा नही कह रहे हैं। आज पाकिस्तान के पूर्ब खिलाड़ी की टिप्पणी कि भारत के खिलाडी धन के लिए खेलते हैं, उसकी बात गलत साबित कर हम शर्मसार होने से बचें। अब देखने की बात होगी की सरकार क्या करती है धनबल भारी होगी या देशभक्ति! ये एक यक्ष सवाल है।
हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर आमजन कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह
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