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देश से गद्दारी आखिर कब तक !

देश का हालात दिन ब दिन बिगड़ता ही जा रहा है। देश की खिलाफत करने का शगल बन गया है, जोकि ये देश की अस्मिता के लिए आत्मघाती कदम के समान है। देश के बाहर के दुश्मनों से निपटने से पहले जरूरी है की अपने ही दामन में पल रहे संपोलों को कुचलना आवश्यक हो गया है। ये किस प्रकार देश की खिलाफत और दुश्मन की हिमायत खुलेआम कर रहें हैं, इसका जीता जागता उदाहरण रविवार को देखने मिला जब भारत चैम्पियन ट्रॉफी के फाइनल में पाक से शिकस्त मिली तब भारत के कश्मीर सहित देश के विभिन्न भागों में जमकर पाकिस्तान की जीत जश्न मनाया गया और आतिशबाजी के भारत विरोधी नारे भी लगे। कश्मीर में तो हद हो गई जब एक अलगाववादी कुत्ता मीरवाइज ने ट्वीट कर पाकिस्तान को बधाई दिया और जीत के जश्न में शामिल हुआ। सरेआम कश्मीर की सड़कों पर आतिशबाजी और भारत विरोधी नारे लगे और पाकिस्तान जिंदाबाद के भी नारे लगाए गये, प्रदेश सरकार चुपचाप तमाशा देखती रही।अलगाववादी नेता यासीन मालिक पत्नी ने तो बाकायदा वीडियो जारी कर कहा कि पाकिस्तान की जीत कश्मीर के बाशिंदों की जीत है । उनकी ख़ुशी हमारी ख़ुशी है,एक दिन हमारा कश्मीर आजाद होगा। अब आप ही बताइये ऐसे लोगों को केंद्र सरकार अपना सरकारी खजाना क्यों लुटा रही है। इनकी में ही सुरक्षा 100 करोड़ से अधिक देश पैसा जाया हो रहा है। इन्हें अपना दामाद बना रखा है। वहीं अलगाववादी कुत्ते खाते हमारी और बजाते हैं दुश्मनों। सवाल उठ रहा है कि क्या भाजपा नीति सरकार वाही दोहरा रही है, जो 70 वर्ष से कश्मीर में हो रहा है ।इन सांपों को दूध अब पिलाया जा रहा है और हमें ही डस रहे हैं। भाजपा को भी दिखावा करने के बजाय कार्यवाही करे। एनआईए के छापे और मुकदमा दर्ज से काम नही होने वाला, इन्हें कुचलने की जरूरत है, वे चाहे अलगाववादी हों या फिर कोई नेता वो चाहे देश किसी भी कोने में छिपा हो । अब समय आ गया कि ऐसे जयचन्दों की जगह सलाखों के पीछे है। अगर जल्द ही इस तरफ केंद्र सरकार ध्यान नही देती हैं तो आंतरिक हालत दिनोदिन कंट्रोल से बाहर होता जायेगा, जिसकी देश को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

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एक कानून दो व्यवस्था कब तक !

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आओ मनाएं संविधान दिवस

पूरे देश में  संविधान दिवस मनाया जा रहा है। सभी वर्ग के लोग संविधान के निर्माण दिवस पर अनेकों ने कार्यक्रम करके संविधान दिवस को मनाया गया। राजनीतिक पार्टियों ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की चित्र पर माल्यार्पण कर संगोष्ठी कर के संविधान की चर्चा करके इस दिवस को गौरवमयी बनाने का का प्रयास किया गया। प्रशासनिक स्तर हो या  फिर विद्यालयों में बच्चों द्वारा शपथ दिलाकर निबंध लेखन चित्रण जैसी प्रतियोगिताएं करके दिवस को मनाया गया। बताते चलें कि 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान मसौदे को अपनाया गया था और संविधान लागू 26 जनवरी 1950 को हुआ था। संविधान सभा में बनाने वाले 207 सदस्य थे इस संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी थे। इसलिए इन्हें भारत का संविधान निर्माता भी कहा जाता है । विश्व के सबसे बड़े संविधान को बनाने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का समय लगा था। भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए 29 अगस्त 1947 को समिति की स्थापना हुई थी । जिसकी अध्यक्षता डॉ भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में समिति गठित गठित की गई थी । 19 नवंबर 2015 को राजपत्र अधिसूचना के सहायता से

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  हिंदी दिवस पर विशेष---  जिस देश में हिंदी के लिए 'दो दबाएं' सुनना पड़ता है और 90% लोग अंग्रेजी में हस्ताक्षर करते हैं..जहाँ देश के प्रतिष्ठित पद आईएएस और पीसीएस में लगातार हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के साथ हो रहा अन्याय और लगातार उनके गिरते हुए परिणाम लेकिन फिर भी सरकार के द्वारा हिंदी भाषा को शिखर पर ले जाने का जुमला।। उस देश को हिंदी_दिवस की शुभकामनाएं उपरोक्त उद्गगार सिविल सेवा की तैयारी कर रहे एक प्रतियोगी की है। इन वाक्यों में उन सभी हिंदी माध्यम में सिविल सेवा की तैयारी कर रहे प्रतिभागियों की है । जो हिन्दी साहित्य की दुर्दशा को बयां कर रहा है। विगत दो-तीन वर्षों के सिविल सेवा के परिणाम ने हिंदी माध्यम के छात्रों को हिलाकर रख दिया है। किस तरह अंग्रेजियत हावी हो रही है इन परीक्षाओं जिनमें UPSC व UPPCS शामिल है इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है। हाल ही में दो दिन पूर्व UPPCS की टॉप रैंकिंग में हिन्दी माध्यम वाले 100 के बाहर ही जगह बना पाए । जो कभी टॉप रैंकिंग में अधिकांश हिंदी माध्यम के छात्र सफल होते थे । लेकिन अब ऐसा नही है। आज लाखों हिंदी माध्यम के प्रतिभागियों के भव