इसी का नाम जिंदगी😊
जिंदगी का मतलब संघर्ष से नाता जोड़ना। जिंदगी इसके बिना सूना लगता है । सफलता हो या फिर असफलता हर तरफ संघर्ष ही संघर्ष है। नौकरी करो स्टॉफ व बॉस से जूझना पड़ता है। पब्लिक सर्विसेज में भी यही हालात हैं। बिजनेस की बात तो अलग ही है, इसमें आगे बढ़ने के लिए कम्पटीशन होना ही है । समाज सेवा, राजनीति या पारिवारिक परिवेश हो हर तरफ सिर्फ मिलेगा तो प्रतिस्पर्धा । दो जून की रोटी के लिए संघर्ष तो करना ही पड़ेगा। क्योंकि ये प्राकृतिक स्वभाव है , ये सिर्फ मानव जाति के लिए ही नही सभी जीवों के लिए लागू है । सभी को जीना है इस पृथ्वी लोक में तो संघर्ष करना ही होगा। तभी तो विद्वानो का कहना है कि जीवन एक संघर्ष है। इसलिए मेरा मानना है संघर्षों से भागने की जरूरत नही है।मैथिली जी वो पंक्ति भलीभांति याद रखने की जरूरत है नर हो न निराश करो मन को ,कुछ काम करो कुछ काम करो, जग में रह कर नाम करो।
हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर आमजन कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह
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