आज एक बार फिर हम विश्व पर्यावरण दिवस मना रहे हैं, कभी सोचा है कि पर्यावरण के लिए क्या कर रहे हैं , क्यों मना रहे हैं,क्या करना चाहिए और इसका हमारे जीवन में क्या महत्व है। बहुत सारे सवाल उठते हैं। आइए हम इस पर चर्चा करते हैं । पर्यावरण से जीवन की भी डोर जुडी हुई है,पर्यावरण जीवों के आवरण के रूप में होता है ।जोकि जीवों को सुरक्षा देने का कार्य करता है,इसमें वनों की महती भूमिका रहती है। एक रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी पर 9.1% बन हैं, जबकि भूमि में लगभग 22%है जो अब 19 % के आसपास आ गई है।भारत में भी 2.79 लाख हेक्टेयर वन विकास की आहुति में चढ़ गया । जब की राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार करीब 33%वैन क्षेत्र होना आवश्यक है ,जिससे पर्यावरण संतुलन बना रहना आवश्यक है। जबकि भारत में 23%ही वनभूमि बची है जोकि चिंता का विषय है। पृथ्वी पर हो रहे असुंतलन से सबसे बडा खतरा मानव जाती के लिए ही है।दिनोदिन भूजल स्तर गिरता जा रहा है। वन विकास भेंट चढ़ रहा है। सबसे खराब हालात शहरों की है । जहाँ हरियाली के नाम पर कुछ रह ही नही जा रहा है,ग्रामीणों की हालत तब भी बेहतर है। गंदे नालों से बहने वाले पानी नदियों को प्रदूषित कर रहे हैं। फैक्ट्री से निकलने वाले धुंए से वायुमंडल को प्रदूषित किया जा रहा है। अगर बात करें पर्यावरण असुंतल की तो सभी राष्ट्र परेशान हैं । इसे लेकर ब्राजील में बैठक कर चुके हैं और परमाणु ऊर्जा में कटौती की आश्वासन दिया था। जिससे ओजोन की परत को बचाया जा सके। लेकिन इसे लेकर बड़े राष्ट्र इसे उतनी गंभीरता से नही ले रहे जितनी लेना चाहिए था। इराक व सीरिया में हुए युद्धों में पर्यावरण को भारी असुंतलन का सामना करना पड़ा है।जिससे जीवों पर भी बड़ा असर हुआ है। उत्तर कोरिया के लगातार हो रहे मिसाइल परीक्षणों से पूर्वी देशों जापान, द0कोरिया आदि में पर्यावरण प्रदूषण बढ़ गया है। पर्वतीय भूभागों के वन लगातार कटने से मौसम में भी परिवर्तन होने लगा है। इन क्षेत्रों में बादल फटने,भूस्खलन,बाढ़ जैसी तबाही आये दिन देखने को मिल रही है। तापमान में भी असुंतलन हो रहा है।अब 47डिग्री से 48 डिग्री पारा चढ़ने लगा है।इन सभी कारण पर्यावरण असंतुलन है। आज हम पर्यावरण दिवस मन रहे है,वही अपने देश भारत के जम्मू के जंगलों में भीषण आग लगी है ,जिससे 50 हेक्टेयर से भी अधिक वन भूमि को आग ने स्वाहा कर चुकी है अभी आग काबू में नही है। आखिर ये क्या है प्रदूषण ही हो रहा है। यही हाल रहा तो आने वाले समय में मानव जीवन का पृथ्वी पर विनाश तय है। तरह तरह की बीमारियों से ग्रसित हो कर मरेंगे। इस लिए अगर आप को अपनी व आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ व सुरक्षित रखना है तो संकल्प लें कि पर्यावरण को साफ सुथरा रखेंगे और एक पेड़ अवश्य लगायेंगे।
@नीरज सिंह
हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर आमजन कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह
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