सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

जीएसटी क्यों बना हुआ है हौव्वा !

देश में एक समान लगने वाला टैक्स जीएसटी यानी गुड्स जीएसटी यानी गुड्स और सर्विस टैक्स को लेकर लोगों में तरह तरह भ्रांतियां फैलायी जा रही हैं। कोई इसे फायदे का सौदा बता रहा है तो कोई नुकसानदायक और मंहगाई पूर्ण निर्णय मान रहा है। व्यवसायी वर्ग इसे हौव्वा ही मान कर चल रहा है। अब आगामी एक जुलाई को जीएसटी लगना तय हो चुका है । सरकार इसके 30 जून की आधी रात को विशेष संसद सत्र बुलाया गया है जिसमें सभी प्रदेशों के वित्तमंत्री भी बुलाये गये हैं। अब समझने की बात है कि इस टैक्स को हौव्वा क्यों बनाया जा रहा है , क्या ये विपक्ष की सोची समझी चाल है कि जनता को बरगलाया जा रहा है या फिर जनता इसे समझ नही पा रही है। और सरकार इसे समझााने में कामयाब नही हो पा रहा है। अनेक अर्थशात्री जीएसटी को लेकर काफी उत्साहित है और मानना है कि जीडीपी 1से 1.5 प्रतिशत की बढोत्तरी होगी। वहीं कई इसे भारतीय व्यवस्था के लिए सही नही मान रहे हैं। वस्तुओं पर 05 से 28 प्रतिशत लगने वाला जीएसटी को अधिकांश जानकार सही मान रहे हैं, लेकिन इसकी दर अन्य देशों की तुलना अधिक होना गलत मान रहे हैं। उनका मानना है कि मंहगाई बढेगी, इसलिए इसे अधिकतम 15 से 18 प्रतिशत से अधिक नही होना चाहिये। जीएसटी कोई हौव्वा नहीं है बल्कि एक समान टैक्स लगेंगे, जिसमें बहुत सारी वस्तुओं की दाम घटेंगे और कुछ के बढेंगे। लेकिन मेरा मानना है कि इससे जनता को अलग अलग टैक्स भरना नहीं पडेगा, ये भारतीय व्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। इसे हौव्वा समझने की जरूरत नही है बल्कि एक जुलाई से लागू होने पर तस्वीर एकदम साफ हो जायेगी। क्या है जीएसटी- जीएसटी का मतलब गुड्स और सर्विस टैक्स जिसमें किसी भी वस्तु व सेवाओं पर दोहरा टैक्स नहीं देना पडेगा। इससे पूर्ब अलग अलग राज्यों में अलग अलग कर देना पडता है। जोकि एक जुलाई से पूरे देश में एक समान कर व्यवस्था लागू होने पर एक वस्तुओं और सेवाओं में लागू होगी। जीएसटी के तीन अंग होंगे जिासमें राज्य सरकार राज्य जीएसटी, केन्द्र सरकार केन्द्रीय जीएसटी और इंटीग्रेटेड जीएसटी लागू करेगा। @NEERAJ SINGH

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक कानून दो व्यवस्था कब तक !

हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर  आमजन  कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर  बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह

आओ मनाएं संविधान दिवस

पूरे देश में  संविधान दिवस मनाया जा रहा है। सभी वर्ग के लोग संविधान के निर्माण दिवस पर अनेकों ने कार्यक्रम करके संविधान दिवस को मनाया गया। राजनीतिक पार्टियों ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की चित्र पर माल्यार्पण कर संगोष्ठी कर के संविधान की चर्चा करके इस दिवस को गौरवमयी बनाने का का प्रयास किया गया। प्रशासनिक स्तर हो या  फिर विद्यालयों में बच्चों द्वारा शपथ दिलाकर निबंध लेखन चित्रण जैसी प्रतियोगिताएं करके दिवस को मनाया गया। बताते चलें कि 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान मसौदे को अपनाया गया था और संविधान लागू 26 जनवरी 1950 को हुआ था। संविधान सभा में बनाने वाले 207 सदस्य थे इस संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी थे। इसलिए इन्हें भारत का संविधान निर्माता भी कहा जाता है । विश्व के सबसे बड़े संविधान को बनाने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का समय लगा था। भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए 29 अगस्त 1947 को समिति की स्थापना हुई थी । जिसकी अध्यक्षता डॉ भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में समिति गठित गठित की गई थी । 19 नवंबर 2015 को राजपत्र अधिसूचना के सहायता से

अपनो के बीच हिंदी बनी दोयम दर्जे की भाषा !

  हिंदी दिवस पर विशेष---  जिस देश में हिंदी के लिए 'दो दबाएं' सुनना पड़ता है और 90% लोग अंग्रेजी में हस्ताक्षर करते हैं..जहाँ देश के प्रतिष्ठित पद आईएएस और पीसीएस में लगातार हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के साथ हो रहा अन्याय और लगातार उनके गिरते हुए परिणाम लेकिन फिर भी सरकार के द्वारा हिंदी भाषा को शिखर पर ले जाने का जुमला।। उस देश को हिंदी_दिवस की शुभकामनाएं उपरोक्त उद्गगार सिविल सेवा की तैयारी कर रहे एक प्रतियोगी की है। इन वाक्यों में उन सभी हिंदी माध्यम में सिविल सेवा की तैयारी कर रहे प्रतिभागियों की है । जो हिन्दी साहित्य की दुर्दशा को बयां कर रहा है। विगत दो-तीन वर्षों के सिविल सेवा के परिणाम ने हिंदी माध्यम के छात्रों को हिलाकर रख दिया है। किस तरह अंग्रेजियत हावी हो रही है इन परीक्षाओं जिनमें UPSC व UPPCS शामिल है इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है। हाल ही में दो दिन पूर्व UPPCS की टॉप रैंकिंग में हिन्दी माध्यम वाले 100 के बाहर ही जगह बना पाए । जो कभी टॉप रैंकिंग में अधिकांश हिंदी माध्यम के छात्र सफल होते थे । लेकिन अब ऐसा नही है। आज लाखों हिंदी माध्यम के प्रतिभागियों के भव