जीएसटी आज आधी रात से लागू होने जा रहा है,इस ऐतिहासिक क्षण पर संसद के सेंट्रल हाल देश के राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री व देश भर के राज्यों के वित्तमंत्री शामिल हो रहे हैं। इस कार्यक्रम को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संबोधित करेंगे। उस कार्यक्रम में विपक्षी दल कांग्रेस सहित अनेक दलों को आमंत्रित किया गया। लेकिन जीएसटी को लागू करने की समिति में तो सभी दल शामिल हुए लेकिन अब जब लागू करने का समय आया तो कांग्रेस ने केंद्र सरकार के आमंत्रण को ठुकरा दिया है। उनका कहना है कि देश की आजादी के बाद पहली बार सेंट्रल हाल में ऐतिहासिक आयोजन हुआ था ,लेकिन इस हाल को राजनीति के लिए बीजेपी उपयोग कर रही है जो गलत है। साथ ही इस रूप में जीएसटी का लागू होना ठीक नही है। लेकिन अब कांग्रेस नेताओ को कौन समझाए की जीएसटी कमेटी में आपके ही सदस्य थे ।जो सुझाव दिया उसे माना भी गया।अब एनडीए को छोड़ सभी विपक्षी दलों के सुर बदल गया है। ममता की तृणमूल कांग्रेस को जीएसटी पसंद ही नही है । समाजवादी पार्टी भी इसके विरुद्ध हैं लेकिन शामिल होगी। आरजेडी शामिल नही होगी ,लेकिन साथी पार्टी जदयू शामिल होगी। एनसीपी के शरद पवार भी शामिल होंगे। इस प्रकार विपक्षी दल जीएसटी को लेकर बिखर गया है। कार्यक्रम में करीब 1500 लोग शामिल होंगे जिसमें अमिताभ बच्चन व लतामंगेशकर जैसी जानी मानी शख्सियत शामिल होंगी। कांग्रेस के इस रुख से ये पता चलता है कि 44 सांसदों के साथ अपने को असहाय साबित कर रही है, ये निर्णय कितना अपरिपक्य है इसी बात से पता चलता है कि इनके बरिष्ठ नेता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री और जाने माने अर्थशास्त्री डॉ0 मनमोहन सिंह व पूर्व वित्तमंत्री पी0चितम्बरम सेंट्रल हाल के कार्यक्रम में जाना चाहते थे, लेकिन पार्टी के निर्णय से दोनों लोग नही जायेंगे। कांग्रेस की इस बचकाना हरकत देश को क्या सन्देश देना चाहती हैं,समझ के पर है। अब तो जीएसटी लागू होने के बाद ही इसके असर का पता चलेगा कि देश को कितना फायदा व नुकसान होगा। एक बात जरूर है कि देश के लिए जीएसटी कर क्रांति लाएगी जो कि ऐतिहासिक होगा।
@नीरज सिंह
हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर आमजन कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह
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